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17 May 2024 · 1 min read

मुफ़लिसों को बांटिए खुशियां खुशी से।

गज़ल

2122/2122/2122
मुफ़लिसों को बांटिए खुशियां खुशी से।
भूखे प्यासे जूझते हैं हर कमी से।1

कुछ करो जो गम के मारे मुस्कुराएं,
कुछ पलो को दूर होकर बेबसी से।2

क्या करेंगे ले के सूरज चांद यारो,
जिंदगी कटती रहे बस सादगी से।3

दर्द-ओ-गम देकर ही जाएं जो हमेशा,
दूर रखिए उनको अपनी जिंदगी से।4

हम फ़क़ीरों की यही दौलत रही है,
प्यार है हमको हमारी बेखुदी से।5

अपने ही खुश हो रहे थे मौत देकर,
हम तो जिंदा दोस्तों औ’र दोस्ती से।6

एक पल संभव नहीं रुक जाएं ‘प्रेमी’,
प्रेम के सुर जब निकलते बांसुरी से।7

……….✍️ सत्य कुमार प्रेमी

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