मुनिया की रंगोली
मुनिया की रंगोली
नन्हीं आँखों के सपने
उत्सर्जित, अवशिष्ट हुए अपने
नन्हीं उंगलियों की हँसी-ठिठोली
ये मुनिया की रंगोली।
प्रकृति-पोषित ये पर्णपत्र
कुछ पुष्प-गुच्छ भी हुए एकत्र
फूल-पत्तों की हमजोली
ये मुनिया की रंगोली।
सृजन का सुखद अहसास
होठों पे मासूम मृदुहास
खुशियों से भर गई झोली।
ये मुनिया की रंगोली।
-©नवल किशोर सिंह