मुद्दा उछलना चाहिए
लगता है
उसका फिर बुत से टकराना लगता है ।
बनने वाला कोई फसाना लगता है ।।
सुंदर बुत के रुख पर है नकाब ,मानो ।
धरती में एक गढ़ा खजाना लगता है ।।
जब सुगंध सांसों में आई दोस्त मेरा ।
मुझसे मिलने हुआ रवाना लगता है।।
तेरा झल्ला जाना भी मेरे मन को ।
मध्यम सुर में एक तराना लगता है ।।
आंख नशीली होंठ रसीले जिस्म तेरा ।
रोम-रोम मुझको मैंखाना लगता है ।।