मुद्दत से आया नही,उनका कुछ संदेश
मुद्दत से आया नही,उनका कुछ संदेश ।
मुमकिन है संदेश हो,ये भी एक रमेश ।
ये भी एक रमेश, नही मैं समझा उनको ।
कहा हमेशा रात,खातिरन जिनकी दिन को ।
कह रमेश कविराय,दिखाओ अब तो सिद्दत ।
पूरी हुई तमाम, ….. क्रुद्धता की जब मुद्दत ।।
रमेश शर्म