*मुदित युगल सरकार खेलते, फूलों की होली (हिंदी गजल/ गीतिका)*
मुदित युगल सरकार खेलते, फूलों की होली (हिंदी गजल/ गीतिका)
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1
मुदित युगल सरकार खेलते, फूलों की होली
धूम मचाती ब्रज में गोपी-ग्वालो की टोली
2
यमुना तट पर रास रचा है, पूर्णचंद्र शोभित
रुनझुन रुनझुन बजी अलौकिक, मादक-सी बोली
3
रसमय पवन चली वृंदावन में हौले-हौले
वासंती फागुन ने कण-कण में मिश्री घोली
4
माधव पाए राधा जी ने, माधव ने राधा
हर गोपी के संग कृष्ण यों, दीखे हमजोली
5
अद्भुत रूप अलौकिक, राधा माधव का भाता
बसा हृदय में जिसके, उसकी ही भरती झोली
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451