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18 Feb 2024 · 1 min read

मुड़े पन्नों वाली किताब

औरत -एक किताब

मैं वो किताब हूं
जिसका,हर पन्ना
अधूरा पढ़ कर छोड़ दिया गया।
बस हर पन्ना मोड़ दिया गया।
कभी किसी ने वहीं से फिर नहीं पढ़ा
बस आधा अधूरा
ऐसे ही किताब के आखिरी अक्षर तक।
मैं आधी अधूरा ही समझा गया मुझे
अपनी अपनी परिभाषा दी गई मुझे।
एक नहीं,दो नहीं , ढेरों
चरित्र प्रमाण पत्र दे दिये गये मुझे।
किसी को मैं अबला।
किसी को सबला लगी
कोई संस्कारी समझा
कोई खुद से हारी समझा।
कोई देवी , शक्ति और मां समझा
कोई बस मुझे खिलौना समझा।
बस
मुड़े मुड़े से पन्नों को किसी ने खोल कर
पढ़ना,समझना नहीं चाहा।
मैं #औरत नाम की किताब हूं
मुड़े मुड़े पन्नों वाली😕😕

सुरिंदर कौर

Language: Hindi
124 Views
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