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11 Jun 2022 · 1 min read

मुट्ठी में ख्वाबों को दबा रखा है।

मुट्ठी में ख्वाबों को दबा रखा है।
हमारा किसी से ना कोई शिकवा है।।1।।

हमको देखकर मुस्करा रहा है।
यूं जमाना हमको नागवार गुजरा है।।2।।

कबसे रास्ता देख रही है आंखें।
सेहरा में आज भी आब ना बरसा है।।3।।

डरता हूं तशबीह ना बन जाऊं।
मेरा दिल इश्क में बहुत ही तड़पा है।।4।।

आज फिर याद आयी उसकी।
मुद्दतों बाद सामने से जो निकला है।।5।।

खवाबों से डर लगता है बहुत।
दिल का हर अरमां टूटके बिखरा है।।6।।

ताज मोहम्मद
लखनऊ

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