मुट्ठी में आसमान
तुम ज़मीन को बांटने के बाद
आसमान को बांटने चले हो!
दिल के नाज़ुक और मासूम
अरमान को बांटने चले हो!!
दम भर के सुकून के लिए
जहां पनाह लेते थे हम लोग!
दीवाने शायरों के आख़िरी
उस ज़हान को बांटने चले हो!!
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