मुझ से जुड़ कर क्या पाओगे … ?
मुझ से जुड़ कर क्या पाओगे
बस कुछ आँसू स्वर्णिम गालों पे
और सूख के दांतों से काटोगे
अपने ही मन के छालों को.
चाँदी उग आये हैं बालों में
कि तन्हाई हांथो के जालों में
नहीं पता है तुम को प्रियतम
कितने सपने ख़ाली हैं
मन के सुंदर आलों में
बीते इन कुछ सालों में.
और तुम्हारा प्रेम नया है
नया ही है तुम्हारा प्रणय निवेदन
बोलो कितना साथ चलोगी,तुम
इन टेढ़ी-मेढ़ी प्रेम की राहों में
बोलो क्या तुम चल पाओगी
साथी मेरे कदम तालों पे.
मैंने फिर भी तुम को चेताया था
बढ़ो नहीं इन कटीली राहों में
मेरा जीवन बीत रहा है
अपने ही पग के छालों में…
***
26-04-2019
…पुर्दिल…