मुझे साहित्य का ज्यादा ज्ञान नहीं है। न ही साहित्य मेरा विषय
मुझे साहित्य का ज्यादा ज्ञान नहीं है। न ही साहित्य मेरा विषय है।
मैं तो बस लिख रही हूं। क्योंकि लिखना मुझे पसंद है। इसीलिए मेरे लेखन में त्रुटियां तो होंगी जो शायद मुझे दिखाई न दें। आपको अगर शब्दों का मर्म समझ आता है, तो मेरी जीत है अन्यथा यह मेरी हार है।
_ सोनम पुनीत दुबे