Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
4 Aug 2024 · 2 min read

मुझे शिकायत है

मुझे शिकायत है
हर किसी से ही नहीं अपने आप से भी
क्योंकि यही मेरी आदत है,
शायद इससे मुझे सूकून का अहसास होता है,
सुख चैन की नींद आती है
और भोजन भी अच्छे से पच जाता है।
शिकायत तो मुझे माँ बाप भाई बहनों रिश्तेदारों ही नहीं
अपनी पत्नी और बच्चों से भी है,
पर ये सब मेरी शिकायतों पर ध्यान ही कहाँ देते हैं
उल्टे मुझे शिकायतों का बीमार कहते हैं,
इसलिए मैं अपना कोटा बाहर ही पूरा करता हूँ,
कम से कम अपनी इज्जत तो महफूज रखता हूँ।
बाहर शिकायतों का अपना ही सुख है
उधार न देने वालों की औरों से शिकायत
मोहल्ले के छोटे बच्चों के शोरगुल से
सार्वजनिक जगहों पर गंदगी फैलाने वालों से
बिजली पानी बरबाद करने वालों से,
जलकल और बिजली विभाग से,
सार्वजनिक सुविधाओं की अव्यवस्थाओं से
सरकारी तंत्र की नाकामियों से शिकायत है,
लचर कानून व्यवस्था और बढ़ते भ्रष्टाचार से
शासन प्रशासन की नीतियों और क्रियान्वयन से
बढ़ती असंवेदनशीलता और झूठी अफवाहों से
जाति धर्म, मंदिर मस्जिद और कट्टरता की आड़ में
मतभेद, आपसी वैमनस्य और जहर घोलने वालों से,
राजनीति की आड़ में भाली भाली जनता को
आये दिन बेवकूफ बनाने वालों से शिकायत है।
मुझे शिकायत है मुफ्तखोरों, विश्वासघातियों से
बढ़ती बेरोजगारी, आरक्षण और नशाखोरी से,
ढोंगी बाबाओं और भोली भाली जनता के गुमराह होने से
युवाओं के गुमराह होकर अपराधी बनने से
अपराधी माफियाओं के राजनैतिक लिबास से।
देश के दुश्मनों और देशद्रोहियों से
अमन, शांति के दुश्मनों से
राष्ट्र, समाज को गुमराह करने वालों से
संविधान का उपहास उड़ाने,
कानून का मजाक बनाने वालों से
मर्यादा को तार तार करने वालों से
न्याय के लंबे इंतजार और बढ़ते मुकदमों की बोझ से।
पर मेरी शिकायतों का अंत नहीं है
शिकायतों का इतिहास भूगोल लिख सकता हूँ,
पर शिकायतों के सिवा कोई हल भी तो नहीं है,
क्योंकि हम आप शिकायतों के शहँशाह जो हैं।
शिकायतें करते, शिकायतें सुनते
और अपना समय काटते हुए जीते हैं
अपने आप की शिकायतों पर
हम ध्यान ही कब, कहाँ देते हैं?
कारण भी है कि शिकायतों के बिना
हम आप जी भी तो नहीं सकते हैं
क्योंकि हम शिकायतों के गुलाम जो हो गए हैं,
शिकायतों में ही जीने और मरने के अभ्यस्त हो गए हैं,
फिर आपको हमसे इतनी शिकायत क्यों है?
शिकायतों का बोझ लेकर तो हम चल ही रहें हैं
शिकायतों के बोझ से आपको साफ साफ बचा रहे हैं
तब शिकायतें करके आखिर कौन सा गुनाह कर रहें हैं?
जो आप सब मेरे लिए भारत रत्न की
सिफारिश तक नहीं कर पा रहे हैं,
या उसके लिए भी शिकायतों का इंतजार कर रहे हैं?
जो हम बिल्कुल भी नहीं कर रहे हैं
आप सबको इतनी बड़ी दुविधा से बचा रहे हैं
अहसान मानिए! मुफ्त में इतना बड़ा काम
सिर्फ और सिर्फ हम ही तो कर रहे हैं,
शिकायत, शिकायत और सिर्फ शिकायत
आखिरकार हम कर रहे हैं।

सुधीर श्रीवास्तव
गोण्डा उत्तर प्रदेश

1 Like · 40 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
ग़ज़ल _ मिल गयी क्यूँ इस क़दर तनहाईयाँ ।
ग़ज़ल _ मिल गयी क्यूँ इस क़दर तनहाईयाँ ।
Neelofar Khan
जीवन से अज्ञानता का अंधेरा मिटाते हैं
जीवन से अज्ञानता का अंधेरा मिटाते हैं
Trishika S Dhara
अब फज़ा वादियों की बदनाम हो गई है ,
अब फज़ा वादियों की बदनाम हो गई है ,
Phool gufran
25. *पलभर में*
25. *पलभर में*
Dr .Shweta sood 'Madhu'
जुड़ी हुई छतों का जमाना था,
जुड़ी हुई छतों का जमाना था,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
सफल हस्ती
सफल हस्ती
Praveen Sain
आईना
आईना
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
एक पल को न सुकून है दिल को।
एक पल को न सुकून है दिल को।
Taj Mohammad
if you have not anyperson time
if you have not anyperson time
Rj Anand Prajapati
शब्दों का संसार
शब्दों का संसार
Surinder blackpen
I Haven't A Single Things in My Life
I Haven't A Single Things in My Life
Ravi Betulwala
‘1857 के विद्रोह’ की नायिका रानी लक्ष्मीबाई
‘1857 के विद्रोह’ की नायिका रानी लक्ष्मीबाई
कवि रमेशराज
मंजिल न मिले
मंजिल न मिले
Meera Thakur
चुप रहो
चुप रहो
Sûrëkhâ
* मंजिल आ जाती है पास *
* मंजिल आ जाती है पास *
surenderpal vaidya
डॉ निशंक बहुआयामी व्यक्तित्व शोध लेख
डॉ निशंक बहुआयामी व्यक्तित्व शोध लेख
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
चाय पीते और पिलाते हैं।
चाय पीते और पिलाते हैं।
Neeraj Agarwal
श्रद्धा से ही श्राद्ध
श्रद्धा से ही श्राद्ध
Rajesh Kumar Kaurav
महिमा है सतनाम की
महिमा है सतनाम की
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
"बिन गुरु के"
Dr. Kishan tandon kranti
मूर्ख बनाकर काक को, कोयल परभृत नार।
मूर्ख बनाकर काक को, कोयल परभृत नार।
डॉ.सीमा अग्रवाल
24/239. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
24/239. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
Sometimes a thought comes
Sometimes a thought comes
Bidyadhar Mantry
Perceive Exams as a festival
Perceive Exams as a festival
Tushar Jagawat
रिश्ता - दीपक नीलपदम्
रिश्ता - दीपक नीलपदम्
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
आए हैं रामजी
आए हैं रामजी
SURYA PRAKASH SHARMA
घनघोर कृतघ्नता के इस
घनघोर कृतघ्नता के इस
*प्रणय*
असली जीत
असली जीत
पूर्वार्थ
शादी के बाद में गये पंचांग दिखाने।
शादी के बाद में गये पंचांग दिखाने।
Sachin Mishra
महबूबा से
महबूबा से
Shekhar Chandra Mitra
Loading...