मुझे शांति चाहिए ..
मस्जिद की अजान से नहीं ,
मंदिर की घंटे घड़ियालों से नहीं ,
ध्वनि प्रदूषण होता है मोटरों की आवाज़ों से,
शादी में बजने वाले डीजे आदि से ,
जो होते बिलकुल सहने काबिल नहीं।
अपनी अमीरी की शान दिखाते अमीरजादे ,
कभी अपनी वाहनों को तेज रफ्तार से चलाते ,
और कभी मोटर साइकिल / बाइक में ,
तेज आवाज वाले अजीब हॉर्न लगवाते।
सुनकर जिसे क्रोध अपना काबू में रहता नही ।
शादियों / पार्टियों में बजने वाले डीजे ,
वही कानफोडू आवाजें और बेतुके फूहड़ गीत ,
पड़ोस में बजे गर तो इंसा चैन से सो पाता नहीं।
चुनावों में बजने वाले लाउड स्पीकर ,
नेताओं के झूठे आश्वासन और भाषण ,
और बे मौसम बरसात जैसे देश भक्ति गीत ,
हमारे मन में जहर से घोल देते है कहीं।
यूं लगे जैसे शोर का ही साम्राज्य है हर तरफ ,
शांति का प्यासा इंसान जाए तो जाए कहां ,
कहीं भी सुकून के लिए कोई जगह रही नहीं।
और यदि ऐसे में कोई तड़प के कहे ,
मुझे शांति चाहिए ,मुझे शांति दो ।
तो यह मात्र कल्पना में हो सकती है ,
हकीकत में मिल सकती नही ।