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18 Mar 2020 · 1 min read

मुझे वो भुलाने लगे

ये उजाले हमें जब सताने लगे
हम अँधेरों से रिश्ता निभाने लगे

हमने खुद को कहा जब से सूरज मियाँ
लोग दिन में भी दीपक जलाने लगे

टूटकर पंखुड़ी जब जमीं पर गिरी
फूल काँटों से दामन बचाने लगे

देख ले ना कोई बस यही सोचकर
वो दुपट्टे में चेहरा छुपाने लगे

जाने क्या हो गया के मुझे देखकर
आँख नम..लब मगर मुस्कुराने लगे

तोड़कर हाथ से काँच की चूड़ियाँ
नाम लेकर के मुझको बुलाने लगे

जिस्म बेजान आँखों में वीरानियाँ
लग रहा है मुझे वो भुलाने लगे

1 Like · 208 Views
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