मुझे वो भुलाने लगे
ये उजाले हमें जब सताने लगे
हम अँधेरों से रिश्ता निभाने लगे
हमने खुद को कहा जब से सूरज मियाँ
लोग दिन में भी दीपक जलाने लगे
टूटकर पंखुड़ी जब जमीं पर गिरी
फूल काँटों से दामन बचाने लगे
देख ले ना कोई बस यही सोचकर
वो दुपट्टे में चेहरा छुपाने लगे
जाने क्या हो गया के मुझे देखकर
आँख नम..लब मगर मुस्कुराने लगे
तोड़कर हाथ से काँच की चूड़ियाँ
नाम लेकर के मुझको बुलाने लगे
जिस्म बेजान आँखों में वीरानियाँ
लग रहा है मुझे वो भुलाने लगे