“मुझे लौटा दो”
मेरी नींदें मुझे लौटा दो,
मेरे ख्वाब मुझे लौटा दो,
खो गया हूँ मैं अजनबी राहों में,
मेरी मंजिल मुझे लौटा दो,
मेरा संगीत मुझे लौटा दो,
मेरा साज मुझे लौटा दो,
गुम हो गयी है जो,
वो मेरी आवाज मुझे लौटा दो,
मेरी रोशनी मुझे लौटा दो,
मेरी बाती मुझे लौटा दो,
रोशन हो मेरा आशियाना,
मेरा चराग मुझे लौटा दो,
मेरा कल मुझे लौटा दो,
मेरा आज मुझे लौटा दो,
उड़ सकूँ खुले आसमान में,
मेरी परवाज मुझे लौटा दो,
मेरी हँसी मुझे लौटा दो,
मेरी मुस्कुराहट मुझे लौटा दो,
खुद से ही अजनबी हो रहा हूँ,
हो सके तो मुझे खुद को लौटा दो।
“सन्दीप कुमार”