मुझे याद तुम्हारी आती है….
बदली जब नभ में छाती है
धरा झूम- झूम इठलाती है
मुझे याद तुम्हारी आती है
इक बूँद बरस जब स्वाति की
चातक की प्यास बुझाती है
मुझे याद तुम्हारी आती है
चंद्र-ज्योत्स्ना आ चकोर को
ओढ़नी जब धवल उढ़ाती है
मुझे याद तुम्हारी आती है
मधुर स्पर्श पा रवि-करों का
कमलिनी खिल जब जाती है
मुझे याद तुम्हारी आती है
– © सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद ( उ.प्र.)