मुझे मेरी आजादी प्यारी
मुझे मेरी आजादी प्यारी
सागर की मछली
गगन के पंक्षी
जैसी मेरी आजादी ।
पानी की बूंदें
सूरज की किरणें
चाँद की चांदनी
आसमान के सितारों जैसी
अंतरिक्ष मे फैली मेरी आजादी
सरहदो से पार
हरकतों से बैखोफ
पृथ्वी की माटी बनकर बिखरी
मेरे विचारों की आजादी ..
मजहबी सरहदों से आजाद
जाति-पाँति से दूर
इंसानियत को सहेजती
मेरे सवालों की आजादी ।
नही किसी के हाथों की मेहंदी
नही किसी के नारों की बोली
नही किसी के डर को सहती
मेरी रूह में वसती मेरी आजादी…
मुझे मेरी आजादी प्यारी…