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18 Mar 2020 · 2 min read

मुझे मालूम नही

मै सोयी हुई हु या जाग रही हु मुझे मालूम नही

मै जो देख रही हु वो सपना है या सच है मुझे मालूम नही

अंधेरी राहमे मै रास्ता भटक गयी हु दूरदूर तक कोई दिखाई नहीं दे रहा

न अपना न पराया

कोई न दिया न रोशनी कोई

मै चिल्लाना चाहती हु मगर ङर के मारे मेरा कंठ सूख गया है

मेरी सांसें तेज चल रही है वैसे मेरे कदम भी तेज प़ङ रहे है

मै चल रही हु मगर किधर मुझे मालूम नही

अरे वो क्या? दूर कही एक रोशनी दिख रही है

मेरे कदम कब उस ओर चल पङे

अब मै उस रोशनीके नजदीक आई

वो एक टिमटिमाता दिया था जो एक पूराने मंदिर मे जल रहा था

अरे ये क्या? उस मन्दिर के अंदर कोई मूर्ती नही

किस भगवान का मंदिर है ? मुझे मालूम नही

मंदिर मे उपर छतमे एक बहुत बङी घंटा लटक रही थी

पर उस घंटामेबजाने का टोल क्यो नही था ? मुझे मालूम नही

मै ठीक उसीके नीचे खङी उसे देख रही थी

तभी अचानक वो घंटा मेरे उपर आ गिरी

मै उसमे ढक गयी

अब बाहर कैसे आऊंगी ? मुझे मालूम नही

शायद सुबह होने को आई थी मंदिर मे कीसीके आने की आहट सुनाई दी
कौन था? मुझे मालूम नही

पर उसने उस घंटा को रस्सीसे खिंचकर फिरसे मंदिर के छतमे टांग दिया

अरे! अब उस घंटा को बजानेवाला टोल था जो पहले नही था

पर वहाँ मै नही थी

मै तो यही पे थी

फिर दिख क्यो नही रही? मुझे मालूम नही

तभी मंदिर मे आये उस साधुने घंटा बजाई

मै सून रही थी पर मै कहां हु ? मुझे मालूम नही

फिर उस बिनामूर्तीवाले मंदिर मे आकर

कोई”ॐनमो शिवाय

तो कोई “गणपति बाप्पा”,

तो कोई “सतनाम वाहेगुरु

तो कोई “झुलेलाल”,

तो कोई ” धन निरंकार” जाप जपने लगे

मै जो देख रही थी वो सपना है या सच है मुझे मालूम नही

मै सोई हूई हु या जाग रही हु मुझे मालूम नहीं

मै जिंदा हु या मर गयी हु मुझे मालूम नही….

❤ श्री मित्रा जशोदा पुत्र ठाकुर

Language: Hindi
316 Views
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