मुझे भूल जाना
हो सके तो तुम मुझे भूल जाना
कभी तुमसे कोई गज़ल होकर मिला था,
कभी तुम्हे भोर का सितारा
कोई नींद से जगाया था,
कभी तुम्हारे धड़कनों पे हाथ रख
कोई जरा सा बहकाया था,
कभी तुम्हारे अधरों के करीब आकर
कोई बेहद तड़पाया था,
कभी तुम्हारे खामोशियों को स्याह रात मे
कोई शोखियों से गुनगुनाया था,
हमने भी तुम्हारी बेचैनियों को समझा था,
खुद सा कुछ तुझमें पाया था,
हाँ, हो सके तो मुझे भूल जाना,
आ गया अब मुझको बारिश में रोना,
उदासियों में अदब से मुस्कराना,
तेरी यादों में ठहर कर तुम्हे गुनगुनाना।
पूनम कुमारी (आगाज ए दिल)