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7 Mar 2017 · 2 min read

मुझे भारत आजाद मिले

हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई,
हम सब के हो गले मिले,
तमस किसी भी घर में ना हो,
सब के घर में दिये जले,
बाटों इतना प्यार सबमें,
मिट जाये सब शिकवे गिले,
इतनी सी विनती हैं सब-से,
इतनी सी विनती हैं रब-से,
जब भी जनम् लूँ मैं भारत में
मुझे भारत आजाद मिले।

भेद भाव मिट जाये सारा,
आपस में हो भाई चारा,
एक दूजे से बैर छोड़कर,
एक दूजे का बने सहारा,
किसी आँखों में आँसू ना हो सबके चेहरे खिले मिले
इतनी………….।

हाथों में तलवार भी हो
औ, फूलों का हार भी हो
हमसे करे जो दिली मोहब्बत
उन्हें फूलों का हार मिले
करे जो हमसे दिली बगावत
उन सब को तलवार मिले
देश भक्ति का जज्बा सबके
दिलों में मुझे अपार मिले
इतनी…………..।

गाय बकरी भैंस भी हो
भिन्न भिन्न परिवेश भी हो
गाय फलाँ औ, बकरी फलाँ
मन में एेसा द्वेष ना हो
जानवरों के नाम पर जग में
कोई न मुझे लड़ता मिले
इतनी………….।

मंदिर भी हो मस्जिद भी हो
चर्च औ,गुरूद्वार भी हो
सब धर्मों को मानने वाले
सबके अपने विचार भी हो
सब धर्मो का मान रखे हम
एेसे नेक विचार मिले
इतनी………..।

साहूकार हो किसान भी हो
निर्धन औ, धनवान भी हो
निर्बल हो निजशान भी हो
ताकतवर बलवान भी हो
पर दबा न पाये कोई किसी को
एक एेसा विधान मिले
इतनी…………।

घर भी हो बागान भी हो
पंछी औ, इंसान भी हो
सब घर भगवान बसे
किसी घर में शैतान न हो
जंजीरों में रहने वाले
सभी पंछी आजाद मिले
इतनी सी विनती हैं सब-से
इतनी सी विनती हैं रब-से
जब भी जनम् लूँ मैं भारत में
मुझे भारत आजाद मिले।

रामप्रसाद लिल्हारे
“मीना “

Language: Hindi
442 Views
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