Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 May 2024 · 2 min read

मुझे प्यार हुआ था

आंखों में हमने भी झांका था
हमने भी प्रीत लगाई थी
ख्वाब जैसा था कोई
जिसने हमसे अपनी पहचाना कराई थी

हर रोज़ किसी के बातों को सुनने की आदत थी
किसी की सलामती मेरी मांगी जाने वाली इबादत थी।

नजरो के फेर में हम भी फंसे थे
था कोई जिसके साथ हम भी हंसे थे

एक शख्स से कई मुद्दों पे इकरार हुआ था…
हा..मुझे प्यार हुआ था।

किसी के इंतजार में वक्त हमने भी गुजारा है
किसी के सौंदर्य को हमने तारीफो से संवारा है।

खुशियों का एक शबब हमसे भी कभी कभार रूठता था
एक मनमीत जिसमे मैं अपनी खुशियां ढूंढता था।

शाब्दातित सुकुन के पल हमने भी बटोरा अतीत में
गुनगुनाया है किसी का नाम हमने अपने दौर के गीत में।

था कोई जिसको हर खुशी देने को तैयार हुआ था…
हा… मुझे प्यार हुआ था।

चांद तारों की बातों को हमने भी स्वीकारा था
था कोई जिसको अपने रूह में उतारा था।

हादसा का नाम देती जिसे दुनिया उसका हम भी शिकार हुए थे
काल्पनिक किस्सो की कश्ती पे हम भी सवार हुए थे।

दूर होकर भी पास होने का एहसास हमे किसी ने कराया था
हमारे सिरहाने अपनी यादों का एक तकिया लगाया था

कभी किसी के लिए मुझे वफा का जुनून सवार हुआ था…
हा.. मुझे प्यार हुआ था।

दिल में बसा के देखा था हमने भी एक शख्स को
महसूस किया था हमने भी अपने अंदर किसी के अक्स को

किसी के झील भरी निगाहों में हमने भी तैरना सिखा था
अपनी दिल की वसीयत किसी और के नाम लिखा था।

था कोई जिसके खातिर दिल बेकरार हुआ था…
हा… मुझे प्यार हुआ था।

131 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

पिता,वो बरगद है जिसकी हर डाली परबच्चों का झूला है
पिता,वो बरगद है जिसकी हर डाली परबच्चों का झूला है
शेखर सिंह
#घर वापसी
#घर वापसी
वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी
नज्म।
नज्म।
Abhishek Soni
ग़ज़ल - बड़े लोगों की आदत है!
ग़ज़ल - बड़े लोगों की आदत है!
Shyam Vashishtha 'शाहिद'
3840.💐 *पूर्णिका* 💐
3840.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
आपके सत्कर्मों से आपकी प्रभा, आभा बनकर आपके बाद प्रकाशित रहे
आपके सत्कर्मों से आपकी प्रभा, आभा बनकर आपके बाद प्रकाशित रहे
Sanjay ' शून्य'
ग़ज़ल
ग़ज़ल
SURYA PRAKASH SHARMA
शीर्षक -श्रीराम उत्सव!
शीर्षक -श्रीराम उत्सव!
Sushma Singh
કેમેરા
કેમેરા
Otteri Selvakumar
Wakt hi wakt ko batt  raha,
Wakt hi wakt ko batt raha,
Sakshi Tripathi
धन कमा लोगे, चमन पा लोगे।
धन कमा लोगे, चमन पा लोगे।
श्याम सांवरा
"देशभक्ति की अलख"
राकेश चौरसिया
रिश्तों की परिभाषा
रिश्तों की परिभाषा
Sunil Maheshwari
वक्त
वक्त
अंकित आजाद गुप्ता
चौपाई छंद गीत
चौपाई छंद गीत
seema sharma
सेज सजायी मीत की,
सेज सजायी मीत की,
sushil sarna
ईश्वर का धन्यवाद करो
ईश्वर का धन्यवाद करो
Akash Yadav
सिर्फ जो उठती लहर व धार  देखेगा
सिर्फ जो उठती लहर व धार देखेगा
Anil Mishra Prahari
आकार
आकार
Shweta Soni
और तुम कहते हो मुझसे
और तुम कहते हो मुझसे
gurudeenverma198
प्रेम
प्रेम
Meenakshi Bhatnagar
अकेलापन
अकेलापन
Rambali Mishra
#मुक्तक-
#मुक्तक-
*प्रणय*
नई खिड़की
नई खिड़की
Saraswati Bajpai
प्रथम गणेशोत्सव
प्रथम गणेशोत्सव
Raju Gajbhiye
*बारात में पगड़ी बॅंधवाने का आनंद*
*बारात में पगड़ी बॅंधवाने का आनंद*
Ravi Prakash
"बेज़ारे-तग़ाफ़ुल"
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
"खामोशी"
Dr. Kishan tandon kranti
बापू फिर से आ जाओ
बापू फिर से आ जाओ
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
*चाटुकार*
*चाटुकार*
Dushyant Kumar
Loading...