मुझे नज़रों में मिला नज़रों का नजराना ‘राही’
यूँ आईने में अपना तब्बसुम देख कर शर्माना
मुझे नज़रों में मिला नज़रों का नजराना
बड़ी शोख सी थी अदाएं शोखियों से भरी
फिर दिखा कर अदा आदतन वो कतराना
मेरे महबूब मेरे दिलबर मेरे हमदम तेरी कसम
मुझे आज भी याद है तेरा छुपना नज़र आना
मेरी आगोश में जो बिताई थी एक शाम तूने हसीन सी
हर शाम में उस शाम का और होता हूँ दीवाना
तेरी बातों में जो मिले मुझे दो लफ्ज़ प्यार के
“मंजिल” मेरी है तू बनी मैं “राही” हूँ अनजाना
एक दिन तू आएगी मेरे जीवन में ख़ुशी बन कर
हो जाऊ मैं खुद से जुदा तू दिल में यूँ बस जाना
– राहुल सोनी ‘राही’