मुझे देखिए चलता ही जा रहा हूँ!!
मुझे देखिए चलता ही जा रहा हूँ,
ग़मों को समूल मिटाता ही जा रहा हूँ |
हसरत लिए दिल सदा जीतने की,
मोहब्बत से नफ़रत हटाता जा रहा हूँ ||१||
मुझे देखते थे जो दुश्मन की भाँति,
उन्हीं के दिलों में समाता जा रहा हूँ |
दुर्गम थी राहें जानिब ए मंजिल,
सुगम फूल-ही-फूल बिछाता जा रहा हूँ ||२||
मुश्किल बहुत ही बदलना किसी को,
औरों की तरह बदलता जा रहा हूँ |
राहों का रोढ़ा न बन जाऊँ कोई,
खुद को ही खुद से परखता जा रहा हूँ ||३||
पतझड़ सी बिखरी हुई ज़िन्दगी में,
पलाशों की भाँति दहकता जा रहा हूँ|
बेजान पत्थर नाखुश दिलों में,
खुशियाँ “मयंक” तलाशता जा रहा हूँ ||४||