मुझे तुम याद आती हो ।
मैं सोता रहता हूं अक्सर मुझे तुम याद आती हो ,
मेरी ख़्वाबो में चुपके से आकर यूँ गले लगाती हो ।
चाँद, तारे सब नाराज है मुझसे ,
तुम जो कभी चाँद बन कर मेरे पास आ जाती हो ।
तुम्हारी जुल्फ की सायो में खुद को रोक न पाया ,
अब तो तुम दूर भी रहो तो मुझे खबर आ जाती है ।
ये इश्क़ , मोहब्बत सब नाकाम है मगर ,
तुम्हारे आते ही सब कुछ आसान हो जाती है ।
है इस कदर इश्क़ की भुलाया नही जाता
तुम्हें याद करते करते दिन से रात आ जाती है ।
मेरे ख़ामोश से लहज़े को तुम समझ क्यू नही जाती
मुझें तो तुम्हारे आंखों में भी प्यार नज़र आता है ।
:-हसीब अनवर