मुझे तुम आखिरी रात समझना
मुझे तुम आखिरी रात समझना,
बीत गयी जो, वो बात समझना,
कहने को तो मैं कुछ भी कह दूं,
लेकिन तुम मेरे जज्बात समझना,
दूर होकर भी है करीब एक दूसरे के,
तुम मुझे हमेशा अपने साथ समझना,
देखे हैं हम दोनों ने मिलकर जो,
अधूरे रहेंगे वो ख्वाब समझना,
हो गर परेशान तुम बातों से मेरी,
नही करूँगा आज के बाद समझना,
जब भी कोई दुख आये तुमपर,
सर में अपने मेरा हाथ समझना,
कैसे गुजरती है आजकल तुम बिन,
तुम कभी वो तन्हा रात समझना,
बहुत याद आती है मुझे बातें तेरी,
कभी मुझे समझना,कभी कुछ न समझना,
– विनय कुमार करुणे