मुझे तुमसे ही उल्फ़त हो गई है
मुझे तेरी अब आदत हो गई है।
मुझे तुमसे ही उल्फ़त हो गई है।1।
तेरे सिमरन बिना सांसें नहीं अब
मेरी जां,जां पे आफ़त हो गई है।2।
रहो जब सामने, आँखें सुकूं में
मेरे दिल को भी राहत हो गई है।3।
तेरा ही ज़ोर चलता दिल पे मेरे
मेरे दिल पे, हुकूमत हो गई है।4।
तेरे नाजो-अदा पे मर मिटा मैं
अदा तेरी, अदावत हो गई है।5।
बंधा तेरे जादू के, जंजीरों में
तेरे पे यूँ नज़ाकत हो गई है।6।
तेरे मिलने को आँखे हैं उनींदी
बदन पे भी हरारत हो गई है।7।
-आनंद बिहारी (13.10.2016)