मुझे ज़िंदगी में उन लफ्जों ने मारा जिसमें मैं रत था।
मुझे ज़िंदगी में उन लफ्जों ने मारा जिसमें मैं रत था।
कोई खूबसूरत तो कोई यहां कमबख्त था।
मैं भिखारी तो उनके पास शोहरत था।
वो हमेशा सही मैं ही गलत था।
मेरे पास कुछ भी न था ।
उनके पास बहुत था।
मुझे तो इन दुनिया के लोगो ने सताया।
उन्हें घमंड था अपने शानो शौकत पर।
ये तो उनका गुरूर -ए – दौलत था।
RJ Anand Prajapati