Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
18 Jan 2021 · 1 min read

मुझे ज़मीर यूँ कचोटता है

के हर गुनाह को टटोलता है
मुझे ज़मीर यूँ कचोटता है

मिरे खुदा मिरे गुनाह बख़्श
तू नेक हो जा, दिल ये बोलता है

उसे बशर भले न माने चाहे
उसे पता है तू जो सोचता है

हिसाब दर्ज़ हैं बही में उसकी
तुला में पाप सारे तोलता है

भले क़बूल मत करो गुनाह
ज़मीर राज़ गहरे खोलता है

2 Likes · 375 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
View all
You may also like:
वक्त थमा नहीं, तुम कैसे थम गई,
वक्त थमा नहीं, तुम कैसे थम गई,
लक्ष्मी सिंह
आधुनिक समाज (पञ्चचामर छन्द)
आधुनिक समाज (पञ्चचामर छन्द)
नाथ सोनांचली
सच तो ये भी है
सच तो ये भी है
शेखर सिंह
रूह बनकर उतरती है, रख लेता हूँ,
रूह बनकर उतरती है, रख लेता हूँ,
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
राह बनाएं काट पहाड़
राह बनाएं काट पहाड़
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
उस रात .....
उस रात .....
sushil sarna
"घर की नीम बहुत याद आती है"
Ekta chitrangini
नया साल
नया साल
Dr fauzia Naseem shad
** हद हो गई  तेरे इंकार की **
** हद हो गई तेरे इंकार की **
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
*अज्ञानी की कलम*
*अज्ञानी की कलम*
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी
आँख
आँख
विजय कुमार अग्रवाल
छन्द- सम वर्णिक छन्द
छन्द- सम वर्णिक छन्द " कीर्ति "
rekha mohan
*फिर तेरी याद आई दिल रोया है मेरा*
*फिर तेरी याद आई दिल रोया है मेरा*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
कुछ तो पोशीदा दिल का हाल रहे
कुछ तो पोशीदा दिल का हाल रहे
Shweta Soni
न्याय यात्रा
न्याय यात्रा
Bodhisatva kastooriya
गिलहरी
गिलहरी
Satish Srijan
■ संवेदनशील मन अतीत को कभी विस्मृत नहीं करता। उसमें और व्याव
■ संवेदनशील मन अतीत को कभी विस्मृत नहीं करता। उसमें और व्याव
*प्रणय प्रभात*
साथ अगर उनका होता
साथ अगर उनका होता
gurudeenverma198
“See, growth isn’t this comfortable, miraculous thing. It ca
“See, growth isn’t this comfortable, miraculous thing. It ca
पूर्वार्थ
चश्मा साफ़ करते हुए उस बुज़ुर्ग ने अपनी पत्नी से कहा :- हमार
चश्मा साफ़ करते हुए उस बुज़ुर्ग ने अपनी पत्नी से कहा :- हमार
Rituraj shivem verma
किसी को जिंदगी लिखने में स्याही ना लगी
किसी को जिंदगी लिखने में स्याही ना लगी
कवि दीपक बवेजा
हम छि मिथिला के बासी
हम छि मिथिला के बासी
Ram Babu Mandal
पानी की खातिर
पानी की खातिर
Dr. Kishan tandon kranti
3095.*पूर्णिका*
3095.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
*धारा सत्तर तीन सौ, अब अतीत का काल (कुंडलिया)*
*धारा सत्तर तीन सौ, अब अतीत का काल (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
चोर कौन
चोर कौन
Dr. Pradeep Kumar Sharma
औरत की हँसी
औरत की हँसी
Dr MusafiR BaithA
मन की कामना
मन की कामना
Basant Bhagawan Roy
मानवता की बलिवेदी पर सत्य नहीं झुकता है यारों
मानवता की बलिवेदी पर सत्य नहीं झुकता है यारों
प्रेमदास वसु सुरेखा
जीवन के सुख दुख के इस चक्र में
जीवन के सुख दुख के इस चक्र में
ruby kumari
Loading...