मुझे गर्भ मे ही मार दो ||
देख मैं तेरे गर्भ मे आ गयी
माँ, कितना सुंदर सा घर है
ना सर्दी है ना गर्मी है
ना ही दुनिया का डर है ||
माँ, एक कंपन सा महसूस होता
दिल की धड़कनो से आपकी
ये रक्त प्रवाह की ध्वनि है
बहती धमनियो मे आपकी ||
कभी कभी महसूस होता है
मुझको अकेलापन यहाँ
धड़कनो से होती है बातें
माँ आप कुछ कहती कहाँ||
मैं सुन लेती हूँ पापा को
वो पास आकर कहते है जब
और आप उस बात को
मन ही मन दोहराती हो जब||
मेरा भी मन होता है, माँ
पापा से बाते करने का
आधी अंश हूँ उनकी भी मैं
उनसे भी थोड़ा जुड़ने का ||
कितनी सुंदर होगी ये दुनियाँ माँ
आप होगे,पापा होंगे, सब होंगे यहाँ
पर कल रात से माँ
ना जाने क्यों डरी-२ सी हूँ
एक सपना देखा था मैने
वहाँ अपनी जैसी ही कुछ और रूहो को
बाहर की दुनियाँ में तड़पते हुए देखा ||……
ये दुनियाँ बेटियो को आज भी
बढ़ने नही देती
मार देती है कोख में ही, माँ
जीने नही देती||
हर मोड़ पर हर गली में
बहुत कुछ सहना पड़ता है
दर्द सह कर भी क्यो बेटियों को
चुप रहना पड़ता है||
कल आप ही समाचार देख रही थी ना
कि बेटियाँ घर मे भी सुरक्षित नहीं हैं
बाहर ही नही घूमते दुश्मन
कुछ चेहरे घर मे भी छुपे कहीं हैं||
अब मुझे दुनिया से डर
लगने लगा है
आपका अंश अंदर ही अंदर
मरने लगा है ||
हर दिन मरने के लिए इस
जालिम दुनिया मे डाल दो
इससे अच्छा होगा माँ
मुझे गर्भ मे ही मार दो ||