मुझे क्या हो जाता है !
मुझे क्या हो जाता है !
हे भगवान, मेरे भगवान मुझे क्या हो जाता है,
कभी न चाहा मैंने ऐसा, खुद ही खुद को छलने जैसा ,
कभी न चाहा मैंने ऐसा बन पतंग लौ जलने जैसा ,
क्यों बना पतंगा जलवाता है खुद ही खुद को छलवाता है,
मुझे क्या हो जाता है !
कब चाहा था मैंने ऐसा, बनू नयन के मैं जल जैसा,
कब चाहा था मैंने ऐसा, साथी हो एक तेरे जैसा,
कब चाहा था मैंने ऐसा मन उपवन वृन्दावन जैसा,
साथी नयन नीर वन उपवन क्यों मुझको दिलवाता है,
मुझे क्या हो जाता है !
चाहा बनू सुःख दुखियों का, चाहा बनू अश्रु खुशियों का,
चाहा बनू श्वास जीवन की चाहा बनू, आस निज मन की,
चाहा माँ की ममता बनना, दुर्बल की एक क्षमता बनना
क्या से क्या मुझे बनाता है,
मुझे क्या हो जाता है !
कब था चाहा बनू प्रेम की कोई एक ग़ज़ल
निज पुष्पासन से टूटा कोई एक कमल
निज अतीत वैभव से पूरित वीरां एक महल
किन्तु लिखा तेरा जीवन से कब मिट पाता है
मुझे क्या हो जाता है !