मुझे कुछ दिनों की, मोहलत तो दे दो!
मुझे कुछ दिनों की, मोहलत तो दे दो!
तुम्हारी गली में, यूं न भटका करुँगी!!
यादों में तेरी खुद को, सताने तो दो!
तुझसे लिपटकर, यूं न रोया करुँगी!!
अभी तो यहाँ पर, दिल जल रहा है!
सोचकर तुम्हे, फिर न पागल बनूँगी!!
किसी रोज हमने, सजाये थे सपने!
सपनों में उनको, अब न देखा करुँगी!!
मोहब्बत थी तुमसे, बगावत न की थी!
सज़ा क्यूँ मिली ऐसी, सोचा करुँगी!!
मुझे कुछ दिनों की, मोहलत तो दे दो!
तुम्हारी गली में, यूं न भटका करुँगी!!
-सोनिका मिश्रा