मुझे आज़मा कर तो देखो
देखकर मुझको आंखें चुराते हो
बात करने से मुझसे डरते हो
मेरे बारे में क्या क्या सोचते हो
एक बार आज़मा कर तो देखो
जितना तुम समझते हो मुझे
मैं उतना भी बुरा तो नहीं।।
साथ आओगे तो चलेंगे मिलकर
राहों के कांटे हटाएंगे मिलकर
करेंगे कुछ भी देखो तो कहकर
एक बार आज़मा कर तो देखो
जितना तुम समझते हो मुझे
मैं उतना भी बुरा तो नहीं।।
साथ जो होगा जो तेरा मेरा
बेहतर होगा हमारा बसेरा
जो हम तुम साथ होंगे तो
सुनहरा होगा हर नया सवेरा
एक बार आज़मा कर तो देखो
जितना तुम समझते हो मुझे
मैं उतना भी बुरा तो नहीं।।
मैं बच्चा नहीं जो समझूंगा नहीं
जो कहते हो तुम मैं समझूंगा वही
मेरे इशारे भी तू समझता ही नहीं
एक बार आज़मा कर तो देखो
जितना तुम समझते हो मुझे
मैं उतना भी बुरा तो नहीं।।
मेरे सपनो में हर रोज आते हो तुम
दिल के मंदिर को सजाते हो तुम
फिर भी मुझको यूं रुलाते हो तुम
एक बार आज़मा कर देखो मुझे
जितना तुम समझते हो मुझे
मैं उतना भी बुरा तो नहीं।।
मैं तो तुम्हें दिल में रखूंगा बसाकर
तेरे जीवन के हर गम को चुराकर
रखूंगा तुम्हें में पलकों में छुपाकर
एक बार आज़मा कर देखो मुझे
जितना तुम समझते हो मुझे
मैं उतना भी बुरा तो नहीं।।