Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
23 Jan 2019 · 3 min read

मुझसे बोलकर जाने की तो बनती है ना संय्याजी

इस समूह के समस्त पाठकों को मेरा प्रणाम ।

जी हां मैं फिर हाजिर हूं एक ऐसी कहानी के साथ, जो हमारे परिवारों में इर्द-गिर्द अक्सर घटित होती हैं, तो चलिए शुरू करते हैं ।

रोमा सुबह से उठती थी, फिर वह चाय बनाने, नाश्ता बनाने से लेकर खाना बनाकर अपने कार्यालय जाने की तैयारी करती थी । साथ ही झाडु फुहारी, पोछा आंगन साफ करना इत्यादि काम भी निपटाती । उस समय कामवाली बाई इतनी आसानी से मिल नहीं पाती थी ।

रोमा और सतीश की शादी हुए ज्यादा दिन हुए भी नहीं थे कि नयी-नवेली बहु का ससुराल में जिम्मेदारी के साथ काम करना शुरू हो गया । सतीश के माता-पिता व छोटा भाई साथ ही में रहते ।

“नयी नवेली दुल्हन रोमा”, उसके भी कुछ अरमान थे, जैसे सभी दुल्हनों के नयी ज़िंदगी शुरू करने के समय होते हैं । मां-बाबा के संस्कारों को साथ लेकर चलने की सीख के साथ अपनी मुहीम शुरू कर दी । एक छोटी बहन थी रोमा की, “फिर उसकी भी शादी करनी थी न ” । हमारे घर के बड़े-बुढे सोचते भी नहीं है कि “नयी नवेली दुल्हन के भी कुछ सपने देखे होंगे “….. नवीन संसार की शुरुआत जो करनी होती है । यही स्थिति नये दुल्हे की भी होती है ।

सतीश की ड्यूटी सुबह ७ बजे से ४ बजे तक और रोमा की ९ बजे से ५.३० तक । नौकरी करने के कारण वैसे ही दोनों जगह की भूमिका निभा पाना बहुत मुश्किल होता था । वैसे तो दुल्हा और दुल्हन नौकरी पेशा होने के कारण इनको समयाभाव के कारण हर जगह भूमिका निभाना बहुत कठिन है । इसीलिए इनको विवाह बंधन में बंधने के बाद थोड़ा समय तो देना चाहिए न ? एक दूसरे को समझने का….. साथ में समय बिताने का ।

लेकिन ये क्या ससुराल में आकर तो तस्वीर ही अलग देखने को मिली । रोमा की सासु मां का सुबह सुबह चिल्लाना शुरू हो जाता था, अरे बहु तुने ये काम नहीं किया, फलाना काम करने में इतनी देर लगती है । उसे समस्त कार्यों में सामंजस्य स्थापित करके ड्यूटी भी जाना है, यह भूल ही जाते हैं ।

फिर संस्कारों का सम्मान करने की कोशिश में बहु रोमा शांति से सहन कर रही थी, कि मेरी मां जैसी इनकी मां, मेरे पापा जैसे इनके पापा…… इन्हीं विचारों को व्यक्त करने का अवसर प्राप्त होना भी मुनासिब नहीं होता है…. हाय वो ऐसे कठिन पल …..

उधर सतीश भी घर का बड़ा बेटा होने के नाते समस्त जिम्मेदारियों को निभाते हुए रोमा के लिए भी सोचा करता । आखिर जीवन संगिनी जो ठहरी…. साथ निभाना साथिया ज़िंदगी भर का…..। इसी कोशिश में उसने आखिरकार कुल्लु मनाली जाने की योजना बना ही ली । उसकी इच्छा रोमा को सरप्राइज देने की थी, लेकिन माता-पिता इस बात से खुश नहीं होंगे, वह अच्छी तरह जानता था….बस इसी उधेड़बुन में लगा था ।

रोमा और सतीश की शादी हुए एक माह भी नहीं हुआ था कि बहु – बेटे के अरमानों के बारे में कुछ भी विचार नहीं करते हुए, अपनी अपेक्षाओं को थोपना कहां तक उचित है ।

फिर दूसरे दिन रोमा यथानुसार अपने काम पूर्ण कर ही रही थी कि सतीश ड्यूटी जाने के लिए तैयार हो रहा था, तभी रोमा गरम- गरम चाय लेकर आई और बोली ये लिजीए पतिदेव ….. चाय हाजिर है……… लेकिन ये क्या…….. सतीश हमेशा की ही तरह बोला, रख दें उधर…..बस फिर क्या, सतीश ने चाय पी और बाईक चालु करके जा ही रहा था कि रोमा अंदर से दौड़ कर आई और बोली अरे पतिदेव……… एक नज़र इधर भी देखें………प्यार को चाहिए क्या एक नज़र, एक नज़र…. अरे मैं मायके से सीखे संस्कारों के साथ अपनी भूमिका निभा रही हूं तो ड्यूटी जाते समय मुझसे बोलकर जाने की तो बनती है ना संय्याजी ?

सतीश अवाक सा होकर और दोबारा वापस आकर रोमा के चेहरे को एकटक निहारते हुए, ” हां हां क्यो नही बनती रोमा ? मैं भी तो तुम्हें कुल्लु मनाली जाने की योजना का सरप्राइज गिफ्ट देना चाहता हूं, क्या ख्याल है ? कहां खो गई रोमा……. मंजूर है ? हां सतीश, तुम्हारा सरप्राइज गिफ्ट सर आंखों पर ।

जी हां इसलिए मेरे विचार से घर के बड़े-बुढों को चाहिए कि जब अपने बहु-बेटे या बेटी-दामाद के विवाह होने के बाद घर की जिम्मेदारियों और अपेक्षाओं पर खरे उतारने के पूर्व उन सभी लोगों को एक दूसरे को समझने का अवसर अवश्य ही प्रदान करें ……. आखिरकार ज़िंदगी भर का साथ जो निभाना है…….।

समस्त पाठकों बताइएगा जरूर फिर, कैसा लगा मेरा लेख ?

धन्यवाद आपका ।

Language: Hindi
1 Like · 255 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Aarti Ayachit
View all
You may also like:
हकीकत
हकीकत
अखिलेश 'अखिल'
कवि मोशाय।
कवि मोशाय।
Neelam Sharma
#जय_गौवंश
#जय_गौवंश
*प्रणय*
कोई मेरे दिल में उतर के तो देखे...
कोई मेरे दिल में उतर के तो देखे...
singh kunwar sarvendra vikram
"याद रहे"
Dr. Kishan tandon kranti
अपनी कद्र
अपनी कद्र
Paras Nath Jha
4884.*पूर्णिका*
4884.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
समझ
समझ
Dinesh Kumar Gangwar
गजब हुआ जो बाम पर,
गजब हुआ जो बाम पर,
sushil sarna
#डॉ अरुण कुमार शास्त्री
#डॉ अरुण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
जीवन संध्या में
जीवन संध्या में
Shweta Soni
*जितनी चादर है उतने ही, यदि पॉंव पसारो अच्छा है (राधेश्यामी
*जितनी चादर है उतने ही, यदि पॉंव पसारो अच्छा है (राधेश्यामी
Ravi Prakash
नशे की दुकान अब कहां ढूंढने जा रहे हो साकी,
नशे की दुकान अब कहां ढूंढने जा रहे हो साकी,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
माटी
माटी
AMRESH KUMAR VERMA
हम जो थोड़े से टेढ़े हो रहे हैं
हम जो थोड़े से टेढ़े हो रहे हैं
Manoj Mahato
जितनी लंबी जबान है नेताओं की ,
जितनी लंबी जबान है नेताओं की ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
लोकतंत्र बस चीख रहा है
लोकतंत्र बस चीख रहा है
अनिल कुमार निश्छल
कर्मगति
कर्मगति
Shyam Sundar Subramanian
IPL के दौरान हार्दिक पांड्या को बुरा भला कहने वाले आज HERO ब
IPL के दौरान हार्दिक पांड्या को बुरा भला कहने वाले आज HERO ब
पूर्वार्थ
मित्रता स्वार्थ नहीं बल्कि एक विश्वास है। जहाँ सुख में हंसी-
मित्रता स्वार्थ नहीं बल्कि एक विश्वास है। जहाँ सुख में हंसी-
Dr Tabassum Jahan
दोस्ती
दोस्ती
Dr fauzia Naseem shad
सबसे प्यारा सबसे न्यारा मेरा हिंदुस्तान
सबसे प्यारा सबसे न्यारा मेरा हिंदुस्तान
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
मस्तियाँ दे शौक़ दे      माहौल भी दे ज़िन्दगी,
मस्तियाँ दे शौक़ दे माहौल भी दे ज़िन्दगी,
अश्क़ बस्तरी
//••• हिंदी •••//
//••• हिंदी •••//
Chunnu Lal Gupta
प्रकृति के स्वरूप
प्रकृति के स्वरूप
डॉ० रोहित कौशिक
एक महिला तब ज्यादा रोती है जब उसके परिवार में कोई बाधा या फि
एक महिला तब ज्यादा रोती है जब उसके परिवार में कोई बाधा या फि
Rj Anand Prajapati
प्रेम साधना श्रेष्ठ है,
प्रेम साधना श्रेष्ठ है,
Arvind trivedi
जो ले जाये उस पार दिल में ऐसी तमन्ना न रख
जो ले जाये उस पार दिल में ऐसी तमन्ना न रख
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
अवधी स्वागत गीत
अवधी स्वागत गीत
प्रीतम श्रावस्तवी
Ram
Ram
Sanjay ' शून्य'
Loading...