मुझमें भारत तुझमें भारत
स्वर्णिम रश्मि दिवाकर की ।
सुरभित मधुर ठंड मलयावात् की।
जिस देश भूमि पर जन्म लिए ।
वो पवित्र भारत मां का आंचल ।
सोकर जिनकी गोंद में स्वर्ग सा एहसास मिले ।
अपनी भारत मां का हम कितना गुणगान करें ।
इतिहास गवाह इस धरती का ।
सिकंदर सेना सहित वापस गया।
जीत लिया हर कोना-कोना पर अध्यात्म का ज्ञान यही मिला ।
वो देखो खाली हाथ जा रहा सिकंदर ।
जिसने था सारी दुनिया जीता ।
स्वामी विवेकानंद भारत के अद्वितीय पर्याय बने ।
1893 शिकागो धर्म सम्मेलन में हिंदू की आन-बान-शान बने ।
कौन था ये महामानव जिसने सबके दिलो को जीत लिया ।
वो तेजस्वी ओजस्वी युवा प्रणेता भारत का वो असाधारण वक्ता ।
परिचित हरेक पहलू से ।
कहां से कैसे कौन हिलता पत्ता ।
भारत की महिमा का गान तो दुनिया के सारे कवि लेखक न कर सके ।
अल्बरूनी, इब्नबतूता, ह्वेनसांग,फाह्यान, बाणभट्ट ,पाणिनी अनेकानेक विचारशील ने अपनी अपनी भाषा में किया ।
भारत में केवल एक चीज है बदली ।
जिससे पूरे विश्व मे मची खलबली ।
भ्रष्टाचार चरम सीमा पर बेरोजगारी का आलम ब्रम्हांड तक ।
लोकतंत्र की आत्मा ही मर जाएगी ।
जब आम नागरिको की सुना ही न जाय ।
यह देश हमसे और आपसे है और बिना हमसे आप कभी नही बन सकते ।
देश ये अपना फेरे तिरंगा देशभक्ति को जताए ।
ये अशोक चक्र नीला प्रगति की सूचक को दर्शाए ।
मर मिटे कितने हुए शहीद तब जाकर ये तिरंगा वतन पाए ।
इस धरती का कोने-कोने पर अपना अंदाज निराला है ।
कही उपमा, ढोसा, सांभर तो कही चाय का प्याला है ।
कही मलयालम, कन्नड, तमिल ।
उङिया, बंगाली,मराठी भाषा है घुल मिल।
फिर भी आश्चर्य की ये अनूठी प्रतिभा का धनी भारत देश हमारा है ।
हिंदी, हिंदू, हिन्दुस्तान भारतेंदु हरिश्चंद्र का नारा है ।
एकता के एकसूत्र में जो पिरोए बढता भाईचारा है ।
टाटा,बिरला,अंबानी एशिया क्या पूरा विश्व ने उनके व्यवसाय को लोहा मानी ।
दिखा दिया अपना दमखम की क्या होते है हिंदुस्तानी ।
कदम -कदम पर रंग बदलती ।
पर्वतो से नदिया निकलती ।
कही हरियाली तो कही पर सूखा।
ये धरती अपने में ही मस्त रहती ।
भारत क्या है ये नही हरेक भारतीय जानता है ।
गर्व है उनके ऊपर जो अपने भारतीय होने पर दंभ भरता है ।
ऐसा कौन-सा क्षेत्र है जिसका भारतीयो ने न डाकी हो चौखट ।
सारे खिलाड़ी जो मिलकर न बना सके ।
उतना अकेले ही हिटमैन रोहित शर्मा ने धो डाले रन 264 ।
बम,बारूद,तोप ये गोला ।
मोहे रंग दे बसंती चोला ।
इस जुनून के आगे फिर कौन कुछ बोला ।
भारत की अस्मिता भारत का गौरव ।
इतिहास ये बताता है अध्यात्म जहां पर पला ।
वही मोक्ष का द्वार है भूमि ।
शांति मिल जाती जहां क्षण भर उसकी गोंद मे बैठने से ।
भारत की यशस्विता हर देश है जाने ।
अंग्रेजो की सत्ता ये पूछो की उनका भारतीयो ने कैसे काटा पत्ता ।
बङा वक्त लग जाता है मधुमक्खी को बनाने में अपने शहद का छत्ता ।
जिस भूमि पर ईश्वर,मसीहा वक्त वक्त पर आए ।
धर्म का पाठ पढ़ाकर नेकी के गीत गाए ।
गर्व हमे इस भूमि पर जहां हमने जन्म पाए ।
धर्म नही कर्म श्रेष्ठ है ।
उससे बङा न कोई उच्चेष्ठ है ।
जाति, सम्प्रदाय, वर्ग सब एक ही मकान के दरवाजे है ।
किसी को न दे कोई दुःख ।
ये स्वार्थी दुनिया तुझसे बङी कौन बला है ।
मरोगे एक दिन सब फिर किसकी तुमको हल्ला है ।
नतमस्तक बन विनम्र इस देश की प्रगति के राह पर जो चला है ।
वही जग में याद किया गया है ।
मुझमे भारत तुझमे भारत रग-रग मे है समाया ।
किसी ने कुछ बोला ही नही अपना आव-भाव ही पहचान कराया ।
भाल पर चंदन तिलक ।
जनेऊ धारण, हंसमुख चेहरा ।
महाराणा प्रताप, आजाद की धरती ।
जो अपने दुश्मन के हाथ न आए।
अकबर,अंग्रेज सब रह गए देखते।
आखिर भारत भारत क्यो कहलाए ।
जो था अकाट्य अमिट पत्थरो को पिलाकर जहां पानी बहाए ।
हो लगन अगर लक्ष्य को पाने की फिर तुमको कौन डिगाए ।
भारतीय होना ही मेरे लिए कोहराम है दुनिया के हर नक्शे पर बता दो वो जगह हो न भारतीय गौरवान्वित जिस हिस्से पर ।
☆☆ RJ Anand Prajapati ☆☆