मुझमें और तुझमें अंतर है…
मुझमें और तुझमें अंतर है,
बाकी तो सब जादू-मंतर है ।
मेरी हनक है सत्ता तलक,
रहती है तुझे जिसकी हनक।
मुझे न डर नियम-कानूनों का,
तुझे दिखा रखा है डर जो इनका ।
मैं अपने अहम में रहता हूँ,
हर हुक़्म भी तुझपे चलाता हूँ ।
मेरी ताक़त तो मेरे लिए पानी से भरा समुंदर है। मुझमें…..
जब तू खड़ा हुआ भीड़ में,
पुरानी सरकार बदलने को ।
मैं तब आराम से बैठा था,
नई सरकार का मूड बदलने को ।
तेरा जब खून खौलता है अग्निमुखी की तरह,
मैं तब आराम करता हूँ राजा की तरह ।
मैं गहरा तू उथला-उथला संगमरमर है । मुझमें….
देख मुझे मैं उड़ता हूँ पंछी की तरह,
तेरा कद भी कोई कद है चूहे की तरह ।
मुझे पूछती है सल्तनत हर मुद्दे पर,
तुझे मिली फ़टकार सदा हर मौके पर ।
मैं सोचता हूँ केवल अपनों के लिए
रहती है चिंता तुझे ग़ैरों के लिए ।
मैं हूँ शांत चमन तू बबलता बबंडर है । मुझमें…
वक़्त भी तो साथ मेरा देता है,
हर तरफ़ से तुझे ही क्यूँ घेरता है ।
तू समझ ले मात मुझे न दे पाएगा,
तेरा प्रयास भी धूमिल हो जाएगा ।
मैं अपना अस्तित्व सदा जी पाऊँगा,
तू तो क्या तेरा अस्तित्व भी मिटाऊँगा ।
मान ले तू हार वरना आगे खंडहर है । मुझमें…..
मुझमें और तुझमें अंतर है,
बाकी तो सब जादू-मंतर है ।