मुझको रुलाने वाले तू भी तो रोया होगा
मेरा चैन छीनकर कुछ तूने भी खोया होगा
मुझको रुलाने बाले तू भी तो रोया होगा
अपना अतीत अक्सर आता है सबके आगे
बचपन में तितलियों को कांटा चुभोया होगा
जबसे गया है तबसे आँखों से नींद ओझल
मुझको जगाने वाले तू भी न सोया होगा
माला के टूटने का गम वो ही जानता है
चुन चुन के फूल जिसने गजरा पिरोया होगा
उजला सा उसका दामन यूँ ही नहीं है “योगी”
शायद लहू के छींटे अश्कों से धोया होगा