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22 Oct 2019 · 1 min read

मुझको रुलाने वाले तू भी तो रोया होगा

मेरा चैन छीनकर कुछ तूने भी खोया होगा
मुझको रुलाने बाले तू भी तो रोया होगा
अपना अतीत अक्सर आता है सबके आगे
बचपन में तितलियों को कांटा चुभोया होगा
जबसे गया है तबसे आँखों से नींद ओझल
मुझको जगाने वाले तू भी न सोया होगा
माला के टूटने का गम वो ही जानता है
चुन चुन के फूल जिसने गजरा पिरोया होगा
उजला सा उसका दामन यूँ ही नहीं है “योगी”
शायद लहू के छींटे अश्कों से धोया होगा

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