मुझको मोहब्बत हो गई
देखा तुझको जबसे देखने की आदत हो गई।
कहते अब तो सारे मुझको मोहब्बत हो गई।।
इन आँखों की महफ़िल में तुम ही तुम गाती मिलो।
इस दिल के अफ़सानों में तुम ही तुम आती मिलो।
खुद से ज्यादा अब तो इक तेरी चाहत हो गई।
कहते अब तो सारे मुझको मोहब्बत हो गई।।
तुम भी मेरे ख़्यालों की हसरत बन आए यहाँ।
तुमसे प्यारा कोई ना सबसे प्यारे तुम यहाँ।
कैसे संभालू दिल अपना तुम बिन आफत हो गई।
कहते अब तो सारे मुझको मोहब्बत हो गई।।
आओ हमतुम मिल जाएँ अरमानों को पर मिलें।
दिन हो जाएँ सब उजले रातों को भी घर खिलें।
हँस कहदें तू मेरी मैं तेरी ताक़त हो गई।
कहते अब तो सारे मुझको मोहब्बत हो गई।।
देखा तुझको जबसे देखने की आदत हो गई।
कहते अब तो सारे मुझको मोहब्बत हो गई।।
राधेयश्याम बंगालिया “प्रीतम”
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