मुझको “मैं “बन कर रहने दो
चलो सीता तो मैं बन जाती हूँ
दुख सुख में साथ निभाने का
वादा भी कर लेती हूँ
पर तुम ना , राम बन मुझे
लोक लज्जा की ख़ातिर
छोड़ मत देना
चलो एक बार मीरा बन कर
तुम्हारे नाम की माला उम्र भर जप लूँ
पर तुम कृष्णा की मूर्त की तरह सिर्फ़ देखते मत रहना
कभी आ कर प्यार भरे हाथ मेरे सिर पर रख देना पथर मत बने रहना
गांधारी तो बनने मत देना
तुम्हारी तरह आँखे मूँद कर
अपने ही परिवार का
नर संहार देखने मत देना
ग़लत और सही की पहचान कराने वाले
नए युग के धृतराष्ट्र तुम बन जाना
उर्मिला यशोधरा राधा बनना
ऐसा तो बोल मत देना
त्याग की देवी बनने से तो अच्छा है
तुम्हारा सहारा और साथी बन कर रहने देना
कुछ मेरी अच्छाइयों में बुराई बता देना
कभी बुराइयों में से भी अच्छा खोज लेना
पर तुम , “तुम “ ही रहना
मुझे भी “मैं” बनकर जीने देना
……स्वरचित मीनू लोढ़ा