-मुझको मेरा कभी होने नही दिया –
-मुझको मेरा कभी होने नही दिया-
उन्मुक्त गगन में स्वछंद विचरण को,
पँख को मेरे खोलने न दिया,
चाहता था में कुछ बड़ा करना,
मेरे अपनो ने मुझे कभी बड़ा होने नही दिया,
यह नही कर सकते,
यह तुमसे कभी होगा नही,
नकारात्मकता भर दी मन मे,
सकारात्मक कभी होने नही दिया,
देखे थे खुली आँखों से जो सपने,
मन से अपनो ने कभी सपने सँजोने नही दिया,
तमन्ना थी कुछ पाने की,
कुछ कर गुजर जाने की,
कालजयी हो जाने की,
नही हो पाएगा तू कभी भी,
ऐसा अभिशाप दिया मन से,
लिखकर लेख अमर हो जाना चाहता था,
जीते जी मुझे मार दिया,
जीवन मे मन से जीने नही दिया,
होना चाहता था में दुनिया का,
मूझको मेरा कभी होने नही दिया,
भरत गहलोत
जालोर राजस्थान,
सम्पर्क सूत्र-7742016184-