मुझको भुला रहा है कोई
हो गया मोम सा खुद को गला रहा है कोई
आज फिर जिंदगी की लौ जला रहा है कोई
खो गया चैन भी और उड़ गयी है नींद मेरी
है यकीं आज भी मुझको भुला रहा है कोई
आँख जब से खुली है हाल ये हुआ है मेरा
लोरियाँ गा के अभी तक सुला रहा है कोई
ये चलन दुनिया का देखा जनम से आज तलक
मैं हूँ खुश पर मुझे बरबस रुला रहा है कोई