मुझको भी
कभी मुझको भी पढ़ लेना ।
कभी अपनों में गढ़ लेना ।
दूर कहीं निगाहों से रहकर,
यादों की बांहों मे भर लेना ।
…. विवेक दुबे”निश्चल”@..
कभी मुझको भी पढ़ लेना ।
कभी अपनों में गढ़ लेना ।
दूर कहीं निगाहों से रहकर,
यादों की बांहों मे भर लेना ।
…. विवेक दुबे”निश्चल”@..