मुझको तो घर जाना है
मुझसे मेरी बिटिया कहती कितना और कामना है ।
क्या इतना भी भूल गई मां वापस घर भी आना है।।
नहीं चाहिए नए खिलौने ना कोई भी इच्छा है,
भाई भी हर दिन कहता है मां होती तो अच्छा है,
अपने आंचल की छाया में फिर से हमें सुलाना है।
क्या इतना भी भूल गई मां वापस घर भी आना है ।।
( अब एक मां कहती है)
अभी यहां पर कार्य बहुत है नहीं कोई अवकाश है ,
तुम बिन कैसे क्षण-क्षण बीते मन भी बहुत उदास है,
नित्य अश्रु की धारा के संग कुछ दिन और बिताना है।
मुझे पता है बेटा मुझको वापस घर को आना है।।
सुख-दुख एक सिक्के के पहलू नित जीवन में रहते हैं,
धैर्य कर्म और संघर्षों से सोए भाग्य भी जगते हैं ,
मुझे आज इन संघर्षों से कल को तेरे सजना है ।
मुझे पता है बेटा मुझको जल्दी घर को आना है ।।
मुझे मेरी बिटिया कहती कितना और कामना है।