मुझको तुम परियों की रानी लगती हो
मुझको तुम परियों की रानी लगती हो
माँ तुम मुझको सबसे प्यारी लगती हो
मुझपर कोई आँच नहीं आने देतीं
मुझको तुम देवी माँ जैसी लगती हो
बात-बात पर नज़र उतारो तुम मेरी
माँ तुम सारे जग से न्यारी लगती हो
माँ तुमसे महके घर का कोना-कोना
तुम घर के आँगन की तुलसी लगती हो
झटपट पूरी कर देती हो हर इच्छा
माँ तुम कोई जादूगरनी लगती हो
गोदी में सर रखकर जब सो जाती हूँ
माँ तुम मुझको मीठी लोरी लगती हो
रात – रात भर जगती हो मेरे कारण
तुम मुझको मूरत ममता की लगती हो
कभी नज़र आती तुममें रब की सूरत
कभी ‘अर्चना’ की तुम थाली लगती हो
डॉ अर्चना गुप्ता
14.05.2024