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19 Nov 2023 · 1 min read

*मुख काला हो गया समूचा, मरण-पाश से लड़ने में (हिंदी गजल)*

मुख काला हो गया समूचा, मरण-पाश से लड़ने में (हिंदी गजल)
_________________________
1)
मुख काला हो गया समूचा, मरण-पाश से लड़ने में
तन की सुंदरता धोखा कुछ, रक्खा नहीं अकड़ने में
2)
पद पैसा सम्मान-पत्र सब, मृग मरीचिका जैसे हैं
मन की शांति नहीं मिलती है, इनके पीछे पड़ने में
3)
यह प्रवाह ही है जो जिंदा, रखता आया नदियों को
रुके हुए पानी को लगती, कहॉं देर है सड़ने में
4)
दुख की बातों में ही सचमुच, असली सुख-स्रोत छिपा है
उत्सव होता है सच पूछो, पीले पत्ते झड़ने में
5)
अपने ऑंगन की मिट्टी से, सबको लगाव होता है
बूढ़े पेड़ बहुत रोते हैं, जड़ से कभी उखड़ने में
————————————
रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा ,रामपुर ,उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451

1 Like · 276 Views
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