मुखिया का दावेदार
ढ़ोल,नगाड़े
बज रहें हैं और
कहीं कहीं तो
रिकॉर्डिंग गानों पर
नर्तकियों संग सभी
थिरक रहे हैं |
बुढ़े ,नौजवानों और
आंचल से मुंह छुपाये
औरतों का हूजूम
भेड़ की भीड़ जैसा
चल पड़ा है जूलूस
हमने समझा कोई
पर्व या त्योहार है |
ध्यान से देखा
फूलों से लदा आगे आगे
चल रहा कोई सख्स
मुखिया का दावेदार है |
लग रहा था
बली बेदी पर चढ़ने को
बकरे जैसा
वह भी तैयार है |
अस्मिता को ताक पर रख
अश्लीलता की हदें
कर रहा वह पार है |
नाचते नर्तकियों पर
मदहोश चमचे
चंद रूपयों की
कर रहे बौछार है |
हद हो गई अब
यह देख
संस्कृति हमारी
शर्मसार है |
शर्म से “गगन” भी
सर झुकाये अपना
चूल्लू भर पानी में
डूबने को तैयार है |
✍गणपति सिंह गगन
छपरा बिहार