मुक्तक
हकीकत जानकार भी क्यों अंजान हैं सब,
जीत गए हैं बाज़ी फ़िर क्यों परेशान है सब,
न मिलेगा ये जहाँ यूँ दुबारा किसी को –
ये सब जानकर भी भला क्यों बेमान है सब
——– ————– बृजपाल सिंह !!
हकीकत जानकार भी क्यों अंजान हैं सब,
जीत गए हैं बाज़ी फ़िर क्यों परेशान है सब,
न मिलेगा ये जहाँ यूँ दुबारा किसी को –
ये सब जानकर भी भला क्यों बेमान है सब
——– ————– बृजपाल सिंह !!