Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
30 Dec 2018 · 1 min read

मुक्तक

मुक्तक-
मज़ा आए भला कैसे जगत की आशनाई में।
लगा हो ध्यान जब सबका यहाँ केवल बुराई में।
दुखों की शीत में बाँटा अमीरी ने नहीं कंबल,
दिखी है मस्त वह लेटी सदा सुख की रजाई में।।
डाॅ बिपिन पाण्डेय

Language: Hindi
372 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
जगत कंटक बिच भी अपनी वाह है |
जगत कंटक बिच भी अपनी वाह है |
Pt. Brajesh Kumar Nayak
एक भ्रम जाल है
एक भ्रम जाल है
Atul "Krishn"
*सत्संग शिरोमणि रवींद्र भूषण गर्ग*
*सत्संग शिरोमणि रवींद्र भूषण गर्ग*
Ravi Prakash
थोड़ी मोहब्बत तो उसे भी रही होगी हमसे
थोड़ी मोहब्बत तो उसे भी रही होगी हमसे
शेखर सिंह
वादे निभाने की हिम्मत नहीं है यहां हर किसी में,
वादे निभाने की हिम्मत नहीं है यहां हर किसी में,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
मेरे पास खिलौने के लिए पैसा नहीं है मैं वक्त देता हूं अपने ब
मेरे पास खिलौने के लिए पैसा नहीं है मैं वक्त देता हूं अपने ब
Ranjeet kumar patre
छोटी-सी बात यदि समझ में आ गयी,
छोटी-सी बात यदि समझ में आ गयी,
Buddha Prakash
“ आप अच्छे तो जग अच्छा ”
“ आप अच्छे तो जग अच्छा ”
DrLakshman Jha Parimal
*बाल गीत (मेरा सहपाठी )*
*बाल गीत (मेरा सहपाठी )*
Rituraj shivem verma
शांत सा जीवन
शांत सा जीवन
Dr fauzia Naseem shad
रोजी न रोटी, हैं जीने के लाले।
रोजी न रोटी, हैं जीने के लाले।
सत्य कुमार प्रेमी
टूट जाता कमजोर, लड़ता है हिम्मतवाला
टूट जाता कमजोर, लड़ता है हिम्मतवाला
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
मेरा प्यारा भाई
मेरा प्यारा भाई
Neeraj Agarwal
नयी भोर का स्वप्न
नयी भोर का स्वप्न
Arti Bhadauria
💐 *दोहा निवेदन*💐
💐 *दोहा निवेदन*💐
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
हम शिक्षक
हम शिक्षक
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
आज भी अधूरा है
आज भी अधूरा है
Pratibha Pandey
जो उसके हृदय को शीतलता दे जाए,
जो उसके हृदय को शीतलता दे जाए,
Vaishnavi Gupta (Vaishu)
दिलकश
दिलकश
Vandna Thakur
जिस समय से हमारा मन,
जिस समय से हमारा मन,
नेताम आर सी
सिंदूरी इस भोर ने, किरदार नया फ़िर मिला दिया ।
सिंदूरी इस भोर ने, किरदार नया फ़िर मिला दिया ।
Manisha Manjari
एक नयी रीत
एक नयी रीत
Harish Chandra Pande
महाकाल का आंगन
महाकाल का आंगन
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
पूस की रात।
पूस की रात।
Anil Mishra Prahari
🙅भोलू भड़ासी कहिन🙅
🙅भोलू भड़ासी कहिन🙅
*प्रणय प्रभात*
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
"बँटबारे का दंश"
Dr. Kishan tandon kranti
धूल में नहाये लोग
धूल में नहाये लोग
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
दुनिया से सीखा
दुनिया से सीखा
Surinder blackpen
जो बीत गया उसके बारे में सोचा नहीं करते।
जो बीत गया उसके बारे में सोचा नहीं करते।
Slok maurya "umang"
Loading...