Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
29 Dec 2018 · 2 min read

मुक्तक

मुक्तक

(1)
मिला पतझड़ विरासत में हमें क्यों यार से ए दिल?
मिलीं बेड़ी हिफ़ाज़त में हमें क्यों यार से ए दिल?
गँवाकर दीप नैनों के किया रौशन जहाँ उसका-
मिला धोखा सियासत में हमें क्यों यार से ए दिल?

(2)
रंग-बिरंगे फूल हँस रहे पवन खिलाने आई है।
शबनम के उज्ज्वल से मुक्तक निशा लुटाने आई है।
अलसाए नैनों को खोले अवनी ने ली अँगड़ाई-
स्वर्णिम झिलमिल ओढ़ चुनरिया भोर उठाने आई है।

(3)
कभी दुख में टपकते हैं कभी सुख में छलकते हैं।
नहीं मजहब नहीं है जाति नैनों में चमकते हैं।
कभी तन्हा नहीं छोड़ा निभाया साथ सुख-दुख में-
बड़े हमदर्द आँसू हैं बिना मौसम बरसते हैं।

(4)
गुज़ारी रात जो तन्हा अजब उसकी कहानी है।
वफ़ा की आरजू में लुट गई देखो जवानी है।
छिपाकर ज़ख्म उल्फ़त में अधर से मुस्कुराए वो-
ग़मे यादें बनीं मरहम नहीं दूजी निशानी है।

(5)
प्यार जीत क्या ,प्यार हार क्या रिश्तों का उपहार यही,
उन्मादित हर लम्हे का है नूतन सा अभिसार यही।
प्यार रूँठना, प्यार मनाना जीवन का आधार यही,
भाव निर्झरी परिभाषा में शब्दों का श्रृंगार यही।

(6)
शूल राहों में बिछे बेखौफ़ चलता जा रहा।
घोर अँधियारा मिटाकर दीप जलता जा रहा।
मैं नहीं मुख मोड़ता तूफ़ान से डरकर यहाँ-
तोड़ के चट्टान पथ की आज बढ़ता जा रहा।

(7)
बंद मुठ्ठी लाख की किस्मत बनाने आ गए।
भूख सत्ता की जिसे उसको हटाने आ गए।
है नहीं इंसानियत, ईमान दुनिया में बचा-
हम फ़रेबी यार को दर्पण दिखाने आ गए।

(8)
बंद मुठ्ठी लाख की किस्मत बनाने आ गए।
भूख सत्ता की जिसे उसको हटाने आ गए।
है नहीं इंसानियत, ईमान दुनिया में बचा-
हम फ़रेबी यार को दर्पण दिखाने आ गए।

(9)
आशिकों का क्या ज़माना आ गया।
दर्द सहकर मुस्कुराना आ गया।
दे भरोसा प्यार में सौदा किया-
प्यार किश्तों में चुकाना आ गया।

(10)रौद्र रूप धर नटवर उर में।
गरजो तांडव कर अंबर में।
शोणित भू संताप हरो अब-
ज्वाला भर दो हर प्रस्तर में।

डॉ. रजनी अग्रवाल ‘वाग्देवी रत्ना’
वाराणसी(उ. प्र.)
संपादिका-साहित्य धरोहर

Language: Hindi
1 Like · 581 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना'
View all
You may also like:
दीपों की माला
दीपों की माला
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
वक्त नहीं
वक्त नहीं
Vandna Thakur
जब नेत्रों से मेरे मोहित हो ही गए थे
जब नेत्रों से मेरे मोहित हो ही गए थे
Chaahat
*संसार में रहो लेकिन संसार के होकर नहीं*
*संसार में रहो लेकिन संसार के होकर नहीं*
Ravi Prakash
आओ गुफ्तगू करे
आओ गुफ्तगू करे
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
प्रणय
प्रणय
*प्रणय*
"बुरा न मानो होली है"
Dr. Kishan tandon kranti
चांद पर पहुंचे बधाई,ये बताओ तो।
चांद पर पहुंचे बधाई,ये बताओ तो।
सत्य कुमार प्रेमी
2915.*पूर्णिका*
2915.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
I read in a book that there is actually a vitamin that exist
I read in a book that there is actually a vitamin that exist
पूर्वार्थ
खुद गुम हो गया हूँ मैं तुम्हे ढूँढते-ढूँढते
खुद गुम हो गया हूँ मैं तुम्हे ढूँढते-ढूँढते
VINOD CHAUHAN
सारे ही चेहरे कातिल है।
सारे ही चेहरे कातिल है।
Taj Mohammad
मातृदिवस
मातृदिवस
Satish Srijan
माला फेरें राम की,
माला फेरें राम की,
sushil sarna
परोपकार
परोपकार
Neeraj Agarwal
संवेदना अभी भी जीवित है
संवेदना अभी भी जीवित है
Neena Kathuria
सुबह सुबह का घूमना
सुबह सुबह का घूमना
जगदीश लववंशी
फैला था कभी आँचल, दुआओं की आस में ,
फैला था कभी आँचल, दुआओं की आस में ,
Manisha Manjari
मुझे याद🤦 आती है
मुझे याद🤦 आती है
डॉ० रोहित कौशिक
भीष्म के उत्तरायण
भीष्म के उत्तरायण
Shaily
क्यूँ जुल्फों के बादलों को लहरा के चल रही हो,
क्यूँ जुल्फों के बादलों को लहरा के चल रही हो,
Ravi Betulwala
दोहा
दोहा
गुमनाम 'बाबा'
हिंदी दिवस
हिंदी दिवस
सत्यम प्रकाश 'ऋतुपर्ण'
राख के ढेर की गर्मी
राख के ढेर की गर्मी
Atul "Krishn"
सोचो अच्छा आज हो, कल का भुला विचार।
सोचो अच्छा आज हो, कल का भुला विचार।
आर.एस. 'प्रीतम'
सार छंद विधान सउदाहरण / (छन्न पकैया )
सार छंद विधान सउदाहरण / (छन्न पकैया )
Subhash Singhai
भोजपुरी के संवैधानिक दर्जा बदे सरकार से अपील
भोजपुरी के संवैधानिक दर्जा बदे सरकार से अपील
आकाश महेशपुरी
नवम्बर की सर्दी
नवम्बर की सर्दी
Dr fauzia Naseem shad
*.....उन्मुक्त जीवन......
*.....उन्मुक्त जीवन......
Naushaba Suriya
"ईद-मिलन" हास्य रचना
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
Loading...