मुक्तक
कभी तो ख्वाब सी लगती कभी लगती हकीक़त सी,
मिली है ज़िन्दगी इक क़र्ज़ में डूबी वसीयत सी,
कभी जिनके इशारों पर हवाएँ रुख बदलती थी.,
हवाएँ कर रहीं हैं आज उनसे ही बगावत सी।
कभी तो ख्वाब सी लगती कभी लगती हकीक़त सी,
मिली है ज़िन्दगी इक क़र्ज़ में डूबी वसीयत सी,
कभी जिनके इशारों पर हवाएँ रुख बदलती थी.,
हवाएँ कर रहीं हैं आज उनसे ही बगावत सी।