मुक्तक
बेशक, तमाम मुश्किलों का हल नहीं पाया,
फिर भी निराश भाव कभी पल नहीं पाया।
मजबूत बहुत है मेरी उम्मीद का सूरज,
जो भी रहे हालात मगर ढल नहीं पाया।।
-विपिन शर्मा
रामपुर
बेशक, तमाम मुश्किलों का हल नहीं पाया,
फिर भी निराश भाव कभी पल नहीं पाया।
मजबूत बहुत है मेरी उम्मीद का सूरज,
जो भी रहे हालात मगर ढल नहीं पाया।।
-विपिन शर्मा
रामपुर